पीपलू कस्बे सहित समूचे उपखंड क्षेत्र में घर, परिवार और देश की समृद्धि खुशहाली की कामना को लेकर दशामाता पर्व मंगलवार को मनाया गया। महिलाओं ने पीपल की पूजा-अर्चना कर परिक्रमा की। व्रत रखकर दशामाता की बेल गले में धारण की। दशामाता पर्व पर महिलाओं ने दिनभर व्रत रखा। शुभ मुहूर्त में पीपल की पूजा-अर्चना कर आटे का दीपक, नैवेद्य, फल, वस्त्र आदि अर्पित किए। सामूहिक रूप से कथा का श्रवण किया गया। इसके बाद पीले धागे और दस गांठों से निर्मित दशामाता की बेल पहनी। पंडित कौमुदीप्रसाद पारीक ने बताया की दशामाता से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक, आर्थिक संपदा और परिवार में सुख, समृद्धि की कामना की जाती है।
इधर बनवाड़ा में ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री ने बताया की इंसान को कई बार जीवन में अचानक से कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रतिकूल समय में उसके धैर्य की परीक्षा होती है। कई प्रयासों के बावजूद जब व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से न उबर पाए और लंबे समय तक समस्याएं बरकरार रहे तो अंत में वह ईश्वरीय शक्ति के सामने गुहार लगाता है। ऐसे ही संकटों से उबारने वाला है दशा माता व्रत। जीवन की दिशा-दशा को सही करने की कामना से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन दशा माता का व्रत किया जाता है। इस व्रत को जो व्यक्ति भक्ति-भाव से करता है, उसके घर से दु:ख और दरिद्रता दूर हो जाती है।