अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर सेव द चिल्ड्रन की वेबिनार मानव तस्करी एक घृणित अपराध : डॉ. नायर

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मानव तस्करी एक घृणित अपराध है और यह भारतीय संविधान अनच्छेद 23 का खुला उल्लंघन है। बाल श्रम, वेश्यावृत्ति और मानव अंगों का व्यापार मानव तस्करी के प्रमुख कारण हैं। हर साल देश में लगभग 60 हजार बच्चे खोते हैं और उनमें से आधे ही वापस मिल पाते हैं। तस्कर कमज़ोर वर्ग को अपना निशाना बनाते हैं और उनके जीवन से खिलवाड़ करते हैं। सेव द चिल्ड्रन द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार में राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मानव तस्करी विरोधी यूनिट के अधिकारियों, ज़िला बाल सुरक्षा समिति तथा स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भारतीय पुलिस सेवा के रिटायर्ड अधिकारी एवं पूर्व महानिदेशक एन डी आर एफ डॉ पी एम नायर ने कहा कि बाल श्रमिक को ठेकेदारों के चंगुल से बचाना ज़रूरी है। बालश्रम से रेस्क्यू के बाद बाल कल्याण समिति के माध्यम से बच्चे को घर भेज दिया जाता है परंतु वही बच्चा कुछ महीनों बाद फिर किसी जगह पर काम करता हुआ पकड़ा जाता है। हमें गांवों में ऐसे बच्चों के माता पिता के साथ समझाइश करनी होगी। इसके लिए पुलिस, बाल कल्याण समिति और स्वयं सेवी संगठनों को मिल कर काम करना होगा। नायर ने कहा कि कानून की सही पालना से समस्याएं हल की जा सकती है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोविड के दौरान भी अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक सुरक्षा कानून 1979 की पालना नहीं कि गई इस कारण लाखों मज़दूर अपने राज्यों में लौटने के लिए भटकते रहे। ठेकेदारों और नियोक्ताओं ने इनके लिए कोई इंतजाम नहीं किये, जबकि कानून में इसका प्रावधान है। उन्होंने पंचायत स्तर पर और कॉलेज स्तर पर मानव तस्करी जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की सलाह देते हुए कहा कि युवा जिम्मेदार बने और सतर्क हों। उन्होंने पुलिस, बालकल्याण समिति और चाइल्ड लाइन के बेहतर तालमेल पर ज़ोर दिया ताकि बाल तस्करी को मिलजुल कर रोका जा सके। राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय एवम भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अजीत जॉय ने कहा कि इस डिजिटल युग में मानव तस्करी के ऑन लाइन प्लेटफार्म बन गए हैं और तस्कर नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चे और युवा इनके चंगुल में फंस जाते हैं। मसाज पार्लर की आड़ में वेश्यावृत्ति कराई जाती है, महिलाओं और लड़कियों को बार-बार शिकार बनाया जाता है। उन्होंने गुमशुदा बच्चों की जानकारी के लिए ‘खोया-पाया’ वेबसाइट की सहायता लेने पर ज़ोर देते हुए बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय का ट्विटर हैंडल ‘साइबर दोस्त’ महिलाओं और बच्चों को साइबर क्राइम से बचाने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि बाल तस्करी, महिलाओं के यौन शोषण जैसी घटनाओं में अपराधी की ओर से कितनी ही दलीलें पेश की जाएं वो सजा से बच नहीं सकते। खंडवा की पुलिस अधीक्षक सीमा अल्वा ने कहा कि बच्चों की उम्र छुपा कर उनका बाल विवाह कर दिया जाता है, यह अमानवीय है। मानव तस्करी के कई प्रकार हैं और यह सीमाओं से परे है। तस्करों को अक्सर सजा का कोई डर नहीं होता क्योंकि इस अपराध की तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता। यह रवैया बदलने की जरूरत है। सेव द चिल्ड्रन के उपनिदेशक संजय शर्मा ने बताया कि सड़क पर गुजर बसर करने वाले बच्चे तस्करों के आसान शिकार है और इनका यौन शोषण होता है। उचित देखभाल के अभाव में ये बच्चे अपराध की दुनियां में प्रवेश कर जाते हैं। इन बच्चों के संरक्षण और इनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की ज़रूरत है। शर्मा ने स्कूल कालेज में मानव तस्करी विरोधी क्लब खोलने की आवश्यकता पर तुरंत कारवाई की जाने की मांग की।राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, नागरिक अधिकार, रवि प्रकाश मेहराड़ा ने कहा कि हमें मानव तस्करी रोकने के लिए योजना बद्ध तरीके से लक्ष्य तक पहुंचना होगा। परंम्परागत तरीकों से हट कर काम करना होगा। अपराधी नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं और हमें एक कदम आगे आ कर उन्हें रोकना होगा। वेबिनार में राजस्थान मानव तस्करी यूनिट के पुलिस अधीक्षक कल्याण मल मीणा, नाशिक के डॉ सीताराम कोल्हे सहित सौ से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन सेव द चिल्ड्रन के उपनिदेशक प्रभात कुमार और मैनेजर केम्पेन एवम कम्युनिकेशन डॉ हेमन्त आचार्य ने किया।
यू ट्यूब से कैसे हटाएं आपत्तिजनक वीडियो : महाराष्ट्र की सीमा के सवाल का जवाब देते हुए अजीत जॉय ने बताया कि गूगल की पॉलिसी है कि ऐसे आपत्तिजनक वीडियो या कन्टेंट तुरंत बैन किये जायें। फीडबेक सेक्शन में भी इसकी शिकायत की जा सकती है। स्थानीय साइबर क्राइम यूनिट को इसकी तुरंत सूचना दे कर वीडियो हटाये जा सकते हैं। मध्यप्रदेश के मानव तस्करी यूनिट के इंस्पेक्टर प्रशांत दुबे ने बताया कि बच्चों को अनाधिकृत गोद दिलाने के रैकेट सक्रिय हैं और पिछले दिनों 5 राज्यों की संयुक्त कारवाई में 28 बच्चे बरामद किए गए हैं। मानव तस्करी रोकने के लिए क्षेत्रवार और कारणवार मेपिंग किये जाने और बाल संरक्षण समिति के क्षमता संवर्धन की आवश्यकता है।

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