स्कूल शिक्षा परिवार के आह्वान पर गैर सहायता एवं गैर रियायत प्राप्त निजी शिक्षण संस्थाओं की ओर से उपखंड अधिकारी डॉ. राकेश कुमार मीणा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। साथ ही पूछा गया है कि आखिर आठ माह से वेतन को तरस रहे 11 लाख कर्मचारियों के परिजनों की दीपावली कैसे मनेगी? ज्ञापन में बताया गया है कि स्कूलो की आर्थिक स्थिति बहुत कष्टपूर्ण एवं संचालन मुश्किल होने की स्थिति से सहमत होते हुए उच्च न्यायायल ने सरकार को निर्देश दिया है कि 28 अक्टूबर तक स्कूलों को अंतरिम तौर पर फीस वसूली की स्वीकृति दी जाए,जो कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन हो। उक्त निर्देश की पालना में निदेशक द्वारा 28 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया गया उससे स्थिति और उलझ गई है एवं 11 लाख कर्मचारियों एवं परिजनो की दीपावली शुभ होने की बजाय कष्टपूर्ण होने जा रही है। ज्ञापन के माध्यम से चेतावनी दी गई है कि यदि समय रहते मांगो पर निर्णय नहीं किया गया तो कर्मचारी अपने परिजनों सहित सडको पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नही होगा। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि हर हाल में 17 नवम्बर से कक्षा 5 से 12 तक के स्कूल खोले जावे, देश के 4 राज्यों में एसा हो रहा है। हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्णय 7 सितम्बर को लागु करने हेतु 20 अक्टूबर के आदेश में संशोधन करने की मांग की गई है। शिक्षा विभाग में गारन्टी के तौर पर स्कुलो की जमा एफडी एवं बालिका शिक्षा फाउण्डेशन की राशि तीन साल में वापस जमा कराने की शर्त पर राहत के तौर पर सभी स्कूलों को लोटाई जाए। आरटीई का भुगतान दीपावली से पूर्व हर हाल में किया जाए। स्कूल खुलने पर न्यू एडमीशन हेतु आरटीई पोर्टल पुन: खोला जाए एवं भविष्य में शाला दर्पण एवं आरटीई पोर्टल खुलने की स्थिति समान रहे, इसमें कोई भेदभाव नहीं हो। प्रदेशाध्यक्ष एसएसपी राजस्थान अनिल शर्मा के निर्देश पर सभी ब्लॉक/जिला अध्यक्ष एसएसपी द्वारा ज्ञापन सौंपे गए।