भारतीय विधिशास्त्र एवं संस्कृत का संगम देगा देश को नई दिशा

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The confluence of Indian jurisprudence and Sanskrit will give a new direction to the country
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केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर में भारतीय विधिशास्त्र विद्याशाखा द्वारा पाठ्य- अभिमुखीकरण कार्यक्रम का सम्पूर्ति समारोह हुआ ।कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में संस्कृत निष्ठ पारंपरिक विधि का प्रवेश विचारों को गति व उत्कृष्टता प्रदान करेगा । कार्यक्रम के अध्यक्ष केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के निदेशक प्रो. सुदेश कुमार शर्मा ने समाज में अधिवक्ता की उपदेयता एवं आवश्यकता पर बल देते हुए उत्तम व आदर्श अधिवक्ता बनने के लिए जागरूक किया । मुख्य अतिथि पूर्व जिला न्यायाधीश श्री राजेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि कानून का उद्भव सृष्टि के प्रारंभ से ही हुआ है तथा इस कानून को जानना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है । सारस्वत अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर की पूर्वनिदेशक प्रो. भगवती सुदेश पारंपरिक विधिशास्त्र की उपादेयता को बताते हुए नैतिक पक्ष पर जोर देने को कहा । विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के सह निदेशक प्रो.वाई.एस.रमेश ने विधिशास्ञ के छात्रों को संस्कृत ज्ञान संवर्धन के लिए प्रेरित किया । विधिशास्त्र एवं धर्मशास्त्र की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम की संयोजक प्रो. कृष्णा शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह एक अनूठा संगम है जो देश को नई दिशा देगा धन्यवाद ज्ञापन डॉ पूजा सुमन ने किया एवं संचालन डॉ अंकित दाधीच द्वारा किया गया।

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