“मैं सिर्फ गांव और किसान के लिए कार्य करता हूं। जिसने जय जय किसान के अलावा गांव की चौपाल, आपणो गांव, एग्रोट्रेण्ड्स इत्यादि कार्यक्रम है। मेरा सब से अच्छा अनुभव भूमिपुत्र अवॉर्ड्स रहा है जिसने उन किसानों को सम्मानित किया गया जो वाकई खेतो को प्रयोग शाला बना कर नवाचार करते है।”
राम राम सा, खम्मा घणी, मैं हूँ सुनील सुशीला शर्मा। टीवी पर यह बुलंद आवाज आप सभी ने सुनी होगी। राम राम सा के बाद कृषि चौपालों और जय जय किसान तक की बुलंदियों को छुने वाली यह लोकप्रिय आवाज एक ऐसे शख्स की है जिनके दिलेदिमाग में खेती किसानी का असीम प्रेम छलक रहा है। ऐसे लोगों का हमेशा यह मानना होता है कि अगर देश को मजबूत करना है तो गांव को मजबूत कीजिए और अगर गांव को मजबूत करना है तो किसान को मजबूत कीजिए। कहते हैं इंसान के जज्बात व हौंसले गगनचुंबी सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं तो फिर आसमान सा लक्ष्य भी झुकने को मजबूर हो जाता है। टीवी की दुनिया में आया यह सख्स और कोई नहीं जयपुर निवासी श्री सुनील सुशीला शर्मा हैं। जिसमें सुशीला आपकी माता जी का नाम है। जिनके देहावसान के बाद ही आपने जॉब छोड़ी और पूरी तरह कृषि को समर्पित हो गए। आपने बताया कि मेरे अब तक 250 एपिसोड प्रसारित किए जा चुके है। जिसने 200 एपिसोड ए वन टी वी और उसके बाद न्यूज इंडिया और फिलहाल फ्रस्ट इंडिया पर जय जय किसान के नाम से प्रसारित किया जा रहा है।
सुनील जी का अब तक का सफर गांव और किसानों के कार्यों में समर्पित रहा। किसान की अपनी आवाज बनकर आप सम्पूर्ण राजस्थान के किसानों को अपनायत का अहसास दिला रहे हैं। जय जय किसान के अलावा गांव की चौपाल, आपणो गांव, एग्रोट्रेण्ड्स इत्यादि कार्यक्रम है। आपका सबसे अच्छा अनुभव भूमिपुत्र अवॉर्ड्स रहा है जिसमें उन किसानों को सम्मानित किया गया जो वाकई खेतो को प्रयोगशाला समझ कर नवाचार करते हैं। वह कार्यक्रम किसी फिल्म फेयर अवॉर्ड्स से कम नहीं था। जिसमे केवल 15 अवॉर्ड्स दिए गए पर अवॉर्ड्स से पहले संबंधित किसान के संघर्ष की कहानी को स्क्रीन पर दिखाया गया। आपने बताया कि जब किसान नम आंखों से अवॉर्ड्स लेने आए तो लगा कि हां, मैं मेरी मुहिम में थोड़ा बहुत सफल हो रहा हूं। वैसे मेरा अनुभव इस क्षेत्र में बहुत ही कम है।
सुनील सुशीला शर्मा का यह सफर असल में सिटीबैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, फोर्स मोटर्स जैसी कम्पनीटियों में राजस्थान हेड के पद पर कार्य करते हुए शुरू हुआ। जिसमें ट्रैक्टर सेल्स और कृषि उपकरण संबंधी सेल्स का कार्य होता था। इस दौरान आपका मिलना किसानों से होता गया। यह कार्य करते करते किसानों के साथ आपका भावनात्मक जुड़ाव हो गया, खेतो में ग्रामीण किसानों से मिलते तो आपको महसूस होता कि किसानों को असल में जागृति और जानकारी की जरूरत ज्यादा है। बाजारवाद और राजनीति दोनों के लिए किसान एक ग्राहक है। दोनों को अपने स्वार्थ के लिए किसान कि जरूरत है। जबकि किसान की जरूरत की किसी को परवाह नहीं है। ना तो बाजार को और ना ही सरकार को। हर कोई किसान को अपना ग्राहक या उपभोक्ता मानता है। यही सोच कर जॉब में रहते हुए आपने छोटी छोटी किसान गोष्ठियां आयोजित करनी शुरू की। फिर संपर्क हुआ ए वन टीवी से और शुरू हुआ “राम राम सा”। जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया और आपने अपने लाखो के पैकेज को छोड़ कर, खुद को किसानों हेतु हमेशा हमेशा के लिए समर्पित कर दिया।
आपने बताया कि किसानों को सेलेब्रिटी बनाना ही मेरा लक्ष्य है। उन किसानों को जो नवाचार करते है। उन किसानों को जो बिना किसी अनुदान के मोह में खेती में स्वयं को समर्पित कर देते हैं। नित्य नए प्रयोग करके कृषि की परिभाषा को मजबूत करते जाते हैं। जो बिना जल के भी अन्न उपजाने की ठान लेते हैं। ऐसे किसान जो देश को मुसीबत में देखकर हमेशा कहते हैं कि हम राष्ट्र के लिए सब कुछ कर सकते हैं। ऐसे किसान जो अच्छा कार्य करते हुए भी गुमनाम से हैं, मैं हमेशा उन किसानों की आवाज हूँ।