पचेवर के सरकारी स्कूल में चपरासी के अभाव में विद्यार्थी बजा रहे है घंटी, रिक्त पद बने मुसीबत

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राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के बडे-बडे दावे तो किए जा रहे है लेकिन पचेवर कस्बे के सरकारी विद्यालय में रिक्त पडे पद, शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए है। खास बात यह है कि स्कूल में दो सहायक कर्मचारियों के पद स्वीकृत है और दोनों ही पद रिक्त है ऐसे में विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रार्थना व छुट्टी के साथ-साथ कालांश बदलने के लिए खुद ही घंटी बजानी पड रही है। आदर्श विद्यालय का तमगा प्राप्त होने के बावजूद इसमें व्याप्त समस्याओं के चलते विद्यालय अपनी छवि को धूमिल कर रहा है। इतना ही नहीं विषय विशेषज्ञों के पद रिक्त होने से माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पढने वाले विद्यार्थियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड रहा है। एक ओर जहां सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा रहा है वहीं सरकारी स्कूलों में व्याप्त खामियों पर विभाग का कोई ध्यान नहीं है। ग्रामीणों द्वारा बार-बार जनप्रतिनिधियों एवं शिक्षा विभाग के निदेशक से लेकर जिला शिक्षाधिकारी को अवगत करवाने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। इसी विद्यालय ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए दो अधिकारी तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए दो अधिकारी दिए है। बावजूद इसके विभाग की लापरवाही इसके गौरवपूर्ण इतिहास के साथ खिलवाड कर रही है। वर्तमान में स्कूल में राजनीति विज्ञान व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान, अध्यापक लेवल 2 में अंग्रेजी, कनिष्ठ लिपिक के एक पद के साथ ही चतुर्थ श्रेणी के दो पद रिक्त चल रहे है।

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