धार्मिक नगरी डिग्गी में रविवार को महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में भगवद गीता विषय पर पीएचडी कर चुकी डिग्गी निवासी लेखिका डॉ. अर्चना सुराना द्वारा रचित पुस्तक श्रीमद् भागवतगीता-एक व्यवहार शास्त्र पुस्तक का विमोचन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में पूर्व केन्द्रीय एवं वित्त राज्य मंत्री नमोनारायण मीणा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। वहीं पूर्व जिला प्रमुख रामविलास चौधरी भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद रहे। समारोह में जयपुर के सेवानिवृत आईएएस सुरेन्द्र सिंह उदावत, नायब तहसीलदार प्रहलाद सिंह, किसान नेता छोगालाल गुर्जर, कांगे्रस के पूर्व कार्यवाहक ब्लॉक अध्यक्ष कैलाश चंद सोनी, मालपुरा शहर कांगे्रस अध्यक्ष मोहम्मद इशहाक, युवा नेता धनरूप शर्मा, एडवोकेट कन्हैया लाल सैनी, यूथ कांगे्रस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष गजेन्द्र जैन, आकाश शर्मा सहित डिग्गी एवं बाहर से आए अतिथियों एवं प्रबुद्धजन मौजूद रहे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मीणा एवं चौधरी ने लेखिका सुराना द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि एक लेखक अपनी रचना में भावों का समावेश करता है, जिससे ज्ञान वृद्धि होने के साथ-साथ विषय का व्यापक ज्ञान होता है। भगवत गीता सनातन संस्कृति का प्राण है तथा इसे अपने जीवन में उतार कर मनुष्य अपने उद्धार का मार्ग प्रशस्त करता है। इस अवसर पर लेखिका डॉ. सुराना ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता एक व्यवहार शास्त्र है जो प्रहार नहीं व्यवहार सिखाती है। हमें वास्तविक जीवन में गीता का ज्ञान होना चाहिए जिसके लिए मूल ग्रंथ का सरलीकरण करके टीका के रूप में पहला संस्करण प्रकाशित किया है। डॉ. सुराना ने अपनी इस कृति का अपने पति मूलशंकर शर्मा को समर्पित करते हुए उन्हें इस टीका की रचना का प्रेरणास्त्रोत बताया। डॉ. सुराना ने बताया कि उन्हें हमेशा पति मूल शंकर शर्मा ने प्रेरित किया कि मैं विषय का सरलीकरण कर अपनी बात को लोगों तक पहुंचा सकूं और जिससे पाठक के रूप में आमजन इसे अपने व्यवहारिक जीवन में उतार सके। यह पुस्तक आमजन के जीवन में आदि, व्याधि, क्लेश आदि से मुक्ति मिलने का माध्यम बन सकती है। पुस्तक को पढ़कर जीवन में अंगीकृत किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त हो सकती है, महिला एक सफल गृहिणी, पत्नि बन सकती है तो पुरुष अच्छा पुरूष होने के साथ-साथ अच्छा पति व अच्छा नागरिक बनकर सामाजिक जीवन व्यतीत कर सकता है। गीता हमें कई तरह की शिक्षा देती है और सनातन धर्म में अत्यन्त पूजनीय पुस्तक के रूप में प्रचलित है। इसमें ज्ञान, योग व कर्म की शिक्षा का समावेश है जो मनुष्य अपने जीवन में उतार कर मोक्ष की राह पर बढ सकता है। समारोह में अन्य वक्ताओं ने भी श्रीमद भागवत गीता पर अपने विचार प्रकट करते हुए लेखिका डॉ. सुराना की इस कृति की रचना के लिए उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए शुभकामनाएं दी।