पुलिस, प्रशासन व पालिकाध्यक्ष की मौजूदगी में रावण दहन, परम्परा का निर्वहन

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वैश्विक महामारी कोरोना के चलते रविवार को पुलिस, प्रशासन, पालिकाध्यक्ष सहित चंद लोगों की मौजूदगी में गणगौरी मेदान पर रावण दहन किया गया। खास बात यह रही कि जहां प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ एवं हजारों शहरवासियों के साक्ष्य में आयोजित होने वाला कार्यक्रम इस बार प्रतीकात्मक ढंग से मनाया गया वहीं गोधूलि वेला में रावण के पुतले का दहन किया गया। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोरधन लाल सौंकरिया, एसडीएम डॉ. राकेश कुमार मीणा, पुलिस उपाधीक्षक चक्रवर्ती सिंह राठौड़, तहसीलदार गंभीर सिंह, मालपुरा थानाधिकारी गोपाल सिंह नाथावत, पालिकाध्यक्ष आशा-महावीर नामा, पार्षद एडवोकेट रवि कुमार जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। पुलिस उपाधीक्षक चक्रवर्ती सिंह राठौड ने बताया कि वैश्विक महामारी के चलते इस बार कोई बडा आयोजन किए जाने की अनुमति नहीं थी तथा दशहरा महोत्सव समिति के पदाधिकारियों से चर्चा कर कार्यक्रम को सूक्ष्म ढंग से मनाए जाने पर सहमति दी गई थी जिसके चलते गणगौरी मेदान पर रावण के पुतले का दहन किया गया। मौके पर भीड एकत्रित नहीं हो तथा शहर में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी प्रमुख चौराहों सहित गणगौरी मेदान व ट्रक स्टैण्ड पर पुलिस जाब्ता तैनात किया गया था। पालिकाध्यक्ष आशा-महावीर नामा ने बताया कि दशहरा का पर्व बुराई पर अछाई की जीत का प्रतीक है तथा हर वर्ष नगरपालिका की ओर से इसे भव्य तैयारियों के साथ मनाया जाता रहा है। राम-रावण संवाद, विशाल जुलूस, सजीव झांकियों सहित गगनभेदी आतिशबाजी का आयोजन किया जाता रहा है लेकिन सपूर्ण विश्व में वैश्विक महामारी कोरोना का भय व्याप्त है जिसके चलते सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने की मनाही है। नगरपालिका मालपुरा द्वारा पुलिस व प्रशासन का सहयोग करते हुए सभी कार्यक्रमों को रद्द किया गया तथा नगरपालिका की ओर से रावण का पुतला तैयार करवाया गया तथा पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में गणगौरी मेदान पर प्रतीकात्मक ढंग से रावण दहन किया गया।
धूं-धूं कर जल उठी बुराई-सनातन संस्कृति में रावण दहन को बुराई पर अछाई की विजय के रूप में मनाए जाने की परपरा है। गणगौरी मेदान पर राम-रावण के संवाद के बाद राम के एक तीर से जलने वाले रावण के पुतले का इस बार पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सामूहिक रूप से दहन किया गया। चिंगारी लगते ही रावण का पुतला धूं-धूं कर जल उठा व अछाई की जीत पर सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी।

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