स्वच्छ दुग्ध उत्पादन द्वारा दूध जनित रोगो से बचाव विषय पर एक दिवसीय ऑन केंपस पशुपालक प्रशिक्षण शिविर

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One day on-campus animal husbandry training camp on prevention of milk-borne diseases through clean milk production
One day on-campus animal husbandry training camp on prevention of milk-borne diseases through clean milk production

राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर की ओर से संचालित पशु विज्ञान केंद्र, अविकानगर, टोंक द्वारा  केंद्र पर “स्वच्छ दुग्ध उत्पादन द्वारा दूध जनित रोगो से बचाव” विषय पर एक दिवसीय ऑन केंपस पशुपालक प्रशिक्षण शिविर  “विश्व दुग्ध दिवस” का कार्यक्रम आयोजित किया गया गया जिसमें केंद्र के प्रभारी एवं सहायक आचार्य डॉ प्रेरणा यादव ने सर्वप्रथम बताया कि दूध के उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है और सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन राजस्थान में होता है| उन्होंने बताया गया कि इस मौके पर केंद्र मैं उपस्थित सभी पशुपालकों को स्वच्छ दूध उत्पादन हेतु जानकारी दी गई| दूध को दूषित करने वाले आंतरिक एवं बाहरी कारकों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई और डेयरी फार्म पर आहार, आवास और स्वास्थ्य प्रबंधन के साथ-साथ उपकरणों, ग्वाल, पशु एवं बर्तनों की सफाई द्वारा स्वच्छ दूध प्राप्त किया जा सकता है| इस अवसर पर यह भी बताया गया की पूर्ण हस्त विधि से दूध निकालने, टीट डिप का प्रयोग करके, शुष्क गाय का एंटीबायोटिक उपचार और समय-समय पर दूध का परीक्षण करवाकर पशुपालक थनैला जैसे रोगों से बच सकता है| पशुपालको को दुग्ध जनित टी. बी., रेबीज आदि ज़ूनोटिक रोगो के लक्षण बताये और जैविक दुग्ध उत्पादन की जानकारी दी| दूध को सफेद और गाढ़ा बनाने के लिए, आजकल साबुन, डिटर्जेंट और बेहद हानिकारक केमिकल्स का प्रयोग हो रहा है और मिलावटी दूध को पहचानने की विधि भी बतलायी गयी| पशुपालकों को एफ.एम.डी, एच. एस., ब्रूसेलोसिस आदि का टीकाकरण और जांच नियमित रूप से करानी चाहिए साथ ही उबले हुए या पश्चुरीकृत दूध का सेवन करने से कई तरह की जूनोटिक रोगों से बचा जा सकता है| इस मौके पर 18 पशुपालको ने जानकारी ली और भागीदारी निभाई|

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