सम्पूर्ण उपखंड क्षेत्र में जलझूलनी एकादशी पर भगवान को डोलों में बैठाकर नगर परिक्रमा करवा कर पवित्र सरोवर में स्नान व नौका विहार के पश्चात मंदिरों में पुर्नस्थापित करवाने की प्राचीन परंपरा का निर्वाह हर्षोल्लास व धूमधाम से किया गया। शहर के सभी मंदिरों से बैण्ड़-बाजों के साथ भक्तिमय माहौल के बीच ठाकुरजी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। डोल यात्रा की अगुवानी खवास जी के कटले स्थित सीताराम जी के मंदिर से निकाले गए डोल ने की। डोल यात्रा मुख्य बाजारों से होती हुई गणगौरी मेदान स्थित नीलकण्ठ महादेव मंदिर मेदान पहुंची। धर्मप्रेमियों ने डोलयात्रा का कस्बे में जगह-जगह पर पुष्पवर्षा व आरती कर पुण्य कमाया व ठाकुरजी के डोलो के नीचे से निकल कर आशीर्वाद लिया। भक्तों व श्रृद्धालुओं में नृसिंह भगवान, चारभुजा नाथ, मदनमोहन जी, लक्ष्मी नाथ जी, सीतारामजी, गोपालजी सहित भगवान के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन करने एवं चढ़ावा चढ़ाकर विमानों के नीचे से निकलते हुए आशीर्वाद प्राप्त करने की होड सी मची रही। सुभाष सर्किल पर महिलाओं, युवतियों एवं बालक-बालिकाओं ने एक किलोमीटर से बडी मानव श्रृंखला बनाकर डोलों के नीचे से निकलकर आशीर्वाद प्राप्त किया। डोलयात्रा को झालरा तालाब में स्नान करवाया गया। भक्तजनों ने शोभायात्रा के साथ-साथ रामधुनी एवं कीर्तन कर नाचते गाते हुए डोलयात्रा के गणगौरी मेदान पहुंचने पर एकादशी महात्म्य की व्रतकथा सुनाई गई व नीलकण्ठ महादेव मंदिर के समक्ष सभी डोलों में विराजित भगवान की सामूहिक महाआरती की गई। इसी प्रकार विश्व प्रसिद्ध डिग्गी धाम में कल्याण मंदिर से डोल यात्रा शुरू हुई जो श्रवण सागर तालाब में स्नान कर मुख्य बाजार से होती हुई विजय सागर तालाब पहुंची। जहां पर सभी डोलो को सामूहिक नौकाविहार करवाया गया। श्रीजी के डोले को छू कर आशीर्वाद पाने के लिए भक्तो में होड सी मची रही।