प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल डिग्गी कल्याण जी महाराज मंदिर ट्रस्ट में राज्य सरकार द्वारा 30 अप्रेल 2020 को चार सदस्य मनोनीत किये जाने विरुद्ध दायर याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने बुधवार को चारों सदस्यों के मनोनयन पर राज्य के प्रमुख देवस्थान सचिव, संयुक्त देवस्थान सचिव, मालपुरा के उपखण्ड अधिकारी तथा डिग्गी कल्याण जी मंदिर ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही अदालत ने मालपुरा विधायक को राहत देते हुए ट्रस्ट के सदस्य के रूप में लगातार काम करते रहने के आदेश दिए है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश मालपुरा विधायक कन्हैयालाल चौधरी द्वारा एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा मालपुरा के जरिये दायर की गई याचिका पर कोविड 19 के तहत चल रहे लोकडाउन में वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जरिए मामले की प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में बताया गया है कि प्रार्थी मालपुरा विधानसभा से बीजेपी से निर्वाचित विधायक है तथा राज्य सरकार के देवस्थान विभाग में डिग्गी कल्याण जी महाराज मंदिर ट्रस्ट 25 अक्टूबर 1975 के तहत पंजीकृत है, ट्रस्ट डीड के अनुसार राज्य सरकार चार सदस्यों का मनोनयन कर सकती है, राज्य सरकार द्वारा 16 मई 2018 को प्रार्थी ओर तीन अन्य सदस्यों का मनोनयन राज्य सरकार द्वारा बगैर समाप्ति के आदेश जारी किए ही, संयुक्त सचिव, देवस्थान विभाग ने 30 अप्रेल 2020 को ट्रस्ट में चार नए सदस्यों का मनोनयन आदेश जारी कर दिया। प्रार्थीपक्ष के एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा मालपुरा ने प्रकरण की वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जरिए पैरवी करते हुए कहा कि ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन ही 25 अक्टूबर 1975 का है, जबकि चार सदस्यों का मनोनयन 25 मई 1975 के रजिस्ट्रेशन के अनुसार करने की बात कही गई है जो कि अस्तित्व में ही नही है, साथ ही राज्य सरकार द्वारा नामित सदस्यो में पूर्व में भी स्थानीय विधायक का ट्रस्ट के सदस्य के तौर पर मनोनयन राज्य सरकार द्वारा किया जाता रहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब करते हुए, प्रार्थी विधायक को ट्रस्ट सदस्य के बतौर काम करते रहने के आदेश पारित किए है।