(मालपुरा)। एक ओर जहां केन्द्र व राज्य की सरकारे शिक्षा की अलख जगाने व बेटियों को बेटों के समकक्ष लाने के लिए शिक्षा से जुडने का आह्वान कर रही है वहीं एक महाविद्यालय को क्रमोन्नति के लिए 21 वर्षो से इंतजार करने की खबर तमाम सरकारी दावों को थोथा साबित करने के लिए पर्याप्त है। मामला मालपुरा क्षेत्र में उच्च शिक्षा का एकमात्र माध्यम राजकीय महाविद्यालय का है जो पिछले 21 वर्षो से क्रमोन्नति का इंतजार कर रहा है। राज्य सरकार सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के रूचि नहीं लेने से जहां हर वर्ष स्वीकृत पदों के अनुपात में तीन गुना छात्र-छात्राएं प्रवेश से वंचित रह जाते है वहीं किसी तरह से प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्राओं को स्नातक होने का तमगा पाकर ही संतुष्ट होना पडता है। क्षेत्र के छात्र-छात्राओं के लिए लगभग 100 किलोमीटर के परिधि क्षेत्र में स्नातकोत्तर शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होने से महंगे दामों पर महानगरों में शिक्षा प्राप्त करने अथवा पढाई छोडने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।
प्रतिवर्ष ऐसे छात्र-छात्राओं में स्नातक से आगे नहीं पढ पाने वाले वर्ग में छात्राओं का अनुपात अधिक होता है। वर्ष 1997 में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना हुई तथा वर्ष 2006 में यूजीसी के अनुदान से अजमेर रोड पर आवंटित 52 बीघा भूमि पर भवन निर्माण का कार्य सम्पन्न हुआ। कला संकाय के हिन्दी, साहित्य, संस्कृत, भूगोल, राजनीति विज्ञान व अंग्रेजी साहित्य विषयों के साथ अध्यापन कार्य शुरू हुआ।
वर्ष 2007-08 में यूजीसी द्वारा प्रदत्त अनुदान से ही विज्ञान संकाय भी शुरू किया गया। वर्तमान में विज्ञान संकाय में गणित व जीव विज्ञान वर्ग की पढाई करवाई जा रही है। भवन निर्माण के बाद से राज्य सरकार व जनप्रतिनिधियों की बेरूखी का शिकार बने राजकीय महाविद्यालय में विकास के नाम पर कुछ नहीं हो पाया। यहां तक की राजकीय महाविद्यालय की चारदीवारी तक का निर्माण नहीं हो सका। महाविद्यालय विकास समिति की अनेकानेक बैठकों में बार-बार प्रस्ताव लिए जाने व जनप्रतिनिधियों के थोथे आश्वासन भरोसा दिलाते रहे लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है। भवन के आस-पास आवारा पशुओं का विचरण व महाविद्यालय की जमीन पर अतिक्रमियों व भूमाफियाओं की नजरे होना इसकी उपेक्षा का सबसे बडा उदाहरण है।
महाविद्यालय से प्राप्त जानकारी में सामने आया कि कॉलेज निदेशालय को बार-बार प्रस्ताव भिजवाने के बावजूद आज भी महाविद्यालय में इतिहास, समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र जैसे विषयों की कमी है वहीं खेल मेदान व शारीरिक शिक्षक का पद रिक्त होने से कई प्रतिभाएं अपने कौशल का प्रदर्शन कर क्षेत्र का नाम रोशन नहीं कर सकी।
आंकडो पर नजर डाली जाए तो वर्तमान में अंग्रेजी साहित्य, भूगोल, रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, संस्कृत, हिन्दी, राजनीति विज्ञान, शारीरिक अनुदेशक, पुस्तकालयाध्यक्ष, कार्यालय सहायक, कनिष्ठ लिपिक के तीन पद, प्रयोगशाला सहायक के तीन पद, सहायक कर्मचारी के दो पद, लैब बियरर सहित लगभग 19 पद रिक्त चल रहे है। यूजीसी की 12वीं योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान-रूसा के अन्तर्गत महाविद्यालय में भवन निर्माण, मरम्मत कार्य, शौचालय निर्माण एवं उपकरण क्रय करने के लिए दो करोड रूपयों का बजट आवंटित किया गया। जिससे भवन की मरम्मत सहित अन्य विकास कार्य प्रगति पर है।
महाविद्यालय को रूसा योजना की वित्तीय स्वीकृति जारी रखने के लिए एनएएसी प्री टीम द्वारा सितम्बर 2016 में निरीक्षण किया गया जिसमें महाविद्यालय को बी ग्रेड प्राप्त हुआ है। पिछले लम्बे समय से प्रतिवर्ष छात्र संगठनों की ओर से महाविद्यालय की क्रमोन्नति के लिए राज्य के प्रमुख शासन सचिव, शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय व प्रधानमंत्री तक के नाम ज्ञापन देकर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जा चुका है। इसे क्षेत्र के विद्यार्थियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि 100 किमी. के दायरे में गरीब विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा पाने की इस कमी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जबकि हर पांच वर्ष में जनप्रतिनिधियों में अपने आपको विकास पुरूष साबित करने की होड मची रहती है।
महाविद्यालय प्राचार्य बी एल मीणा का कहना है कि महाविद्यालय में केन्द्र व राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का संचालन निर्बाध तरीके से कर विद्यार्थियों का लाभान्वित किया जा रहा है, कमियों के विषय में महाविद्यालय विकास समिति की बैठकों में लिए गए प्रस्तावों को कॉलेज निदेशालय भिजवाया जाता है। जिस पर शीघ्र कार्रवाई होने का भरोसा है।