1965 के भारत-पाक युद्ध में दिया था अदम्य साहस का परिचय
सन 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में अन्य सैनिक टुकडी आने तक पाकिस्तान बिग्रेड को पंजाब सीमा पर रोके रखने तथा अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन देश की सेना के टैंको को धराशायी करने वाले वीर योद्धा महावीर चक्र पदक विजेता बिग्रेडियर रघुवीर सिंह का रविवार को निधन हो गया। बिग्रेडियर रघुवीर सिंह ने रविवार को जयपुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। जहां परिजनों एवं ग्रामवासियों व प्रबुद्धजनों की मौजूदगी में राजावत फार्मस पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र संग्राम सिंह, नरेन्द्र सिंह ने मुखाग्रि दी। उम्र का शतक पूरा करने से एक माह पूर्व बिग्रेडियर रघुवीर सिंह का निधन हो गया। बिग्रेडियर रघुवीर सिंह के निधन की खबर मिलते ही उनके पेतृक गांव सोडा सहित आस-पास के क्षेत्र में शोक की लहर छा गई तथा जनप्रतिनिधियों सहित प्रबुद्धजनों ने शोक व्यक्त करते हुए शोक-संतप्त परिजनों को ढाढस बंधाया। बिग्रेडियर रघुवीर सिंह अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड गए है। जिसमें पुत्र कुंवर नरेन्द्र सिंह ऑल इण्डिया क्षत्रिय फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है तो पुत्रवधु डिग्गी में राय बहादुर एमीनेंट गल्र्स कॉलेज की निदेशक है। पौत्री सुश्री छवि राजावत दो बार सोडा गांव की सरपंच रह चुकी है तथा उन्हें राजस्थान में पहली एमबीए महिला सरपंच होने का भी गौरव प्राप्त किया। बिग्रेडियर रघुवीर सिंह क्षेत्र से पहले सैन्य अधिकारी रहे जिन्होंने सेना में रहते हुए बिग्रेडियर की पदवी प्राप्त की जो क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रही। सेना में सेवाएं पूर्ण करने के बाद भी बिग्रेडियर रघुवीर सिंह ने देश सेवा के बाद समाज सेवा का बीडा उठाया तथा गांव के विकास के लिए काम किया। स्वयं बिग्रेडियर रघुवीर सिंह भी सोडा गांव के सरपंच रह चुके है। उनके कार्यकाल में ग्राम पंचायत में काफी विकास कार्य करवाए गए जिसे आगे ले जाने में पौत्री सुश्री छवि राजावत ने भी अहम भूमिका निभाई। आज भी उपखंड क्षेत्र में सोडा ग्राम पंचायत को आदर्श गांव के रूप में पहचाना जाता है जहां चौडे-चौडे रास्ते, सार्वजनिक तालाब, घाट, पेयजल स्त्रोत आदि वहां पहुंचने वाले लोगों को विकसित गांव के रूप में नजर आता है। मालपुरा-टोडारायसिंह विधायक कन्हैया लाल चौधरी, पंचायत समिति प्रधान सकराम चौपडा, मालपुरा नगरपालिका अध्यक्ष सोनिया मनीष सोनी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए परिजनों को अपनी संवेदनाए प्रेषित की है। अजमेर रोड स्थित राजपूत सभा भवन में संरक्षक रणधीर सिंह आखतडी व तहसील अध्यक्ष धनसिंह बावडी की अध्यक्षता में शोकसभा आयोजित की गई जिसमें राजपूत सरदारों ने बिग्रेडियर रघुवीर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। कैप्टन सूरजमल गुर्जर की अध्यक्षता में पूर्व सैनिक आदर्श कल्याण संस्थान मालपुरा ने भी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। जिसमें भूतपूर्व सैनिकों ने बिग्रेडियर रघुवीर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी व दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
यह रहा इतिहास-टोंक जिले के सोड़ा ग्राम में 2 नवम्बर, 1923 को जन्मे बिगेडियर रघुवीर सिंह सुपुत्र ठाकुर प्रतापसिंह राजावत ने 22 जनवरी, 1945 को सवाई मान गार्ड्स जयपुर से सेना में कमीशन लिया। अनेक सैनिक और नागरिक कोर्स करने वाले श्री राजावत ने 1943 से 1974 तक द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया, देश के लगभग सभी प्रदेशों में ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र की सेवा के दौरान अनेक एशियाई और योरप के देशों में उच्च सैन्य पदों पर अपनी संचालन कुशलता और शौर्य का परिचय दिया।
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पंजाब के खेमकरन-लाहौर सैक्टर में आसल उत्तर की लड़ाई में राजपूताना राइफल्स की एक बटालियन के कमाण्डर के रूप में लेफ्टीनेन्ट कर्नल रघुवीर सिंह ने टैंकों के बीच गोलों की बौछार झेलते हुए दुश्मन के आमंड डिवीजन पर निर्णायक हमला किया और युद्ध भूमि को 20 पैटन टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया। उनकी इस बहादुरी और साहसपूर्ण नेतृत्व के लिए 7 सितम्बर, 1965 को राष्ट्रपति द्वारा गैलण्ट्री अवार्ड के रूप में आपको महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों, मैडलों और प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित बिगे्रडियर रघुवीर सिंह ने 1971 में बांग्लादेश युद्ध के एक लाख बन्दियों के निगरानी कैम्पों की देखरेख का उत्तरदायित्व भी बडी कुशलता से संभाला था