रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज के प्राकट्य त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन शनिवार को सोडा तहसील मालपुरा जिला टोंक के श्रीरामस्नेही धाम में समारोह पूर्वक आयोजित हुआ जिसमें देशभर से हजारों रामस्नेही अनुरागियों व संतगण मौजूद रहे। इससे पूर्व शुक्रवार को सोडा धाम में रात्रि जागरण धार्मिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ जिसमें भजनों के माध्यम से महाप्रभु स्वामी रामचरण महाराज के कृतित्व और जीवन के अलावा उनके द्वारा रचित किये गये अनुभव वाणी ग्रंथ की साखियों के माध्यम से भजनों की प्रस्तुति दी। शनिवार को महाप्रभु प्राकट्य त्रिशताब्दी समारोह का आगाज प्रात: भव्य कलश यात्रा निकाली गयी। इसमें महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज का विशाल रजत चित्र का रजत रथ आकर्षण रहा। इसके अलावा अन्य रथ में रामस्नेही संप्रदाय के वर्तमान पीठाधीश्वर आचार्यश्री स्वामी रामदयाल महाराज सहित अन्य धर्माचार्य शामिल हुए। जयपुर रोड पर विशाल स्वागत द्वार बनाया गया जो भी आकर्षण का केंद्र रहा। मुख्य समारोह का आयोजन रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगतगुरू स्वामीजी श्री रामदयालजी महाराज के सानिध्य में प्रांरभ हुआ। समारोह में राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी सहित अन्य कई धर्माचार्य, महंत, संत मौजूद थे। रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगतगुरू स्वामीजी श्री रामदयालजी महाराज ने राम व राष्ट्र पर अपना चिन्तन देते हुए कहा कि महाप्रभु रामचरणजी महाराज ने आज से ढाई सो वर्ष पूर्व ही अपने अनुभवों के आधार पर अनुभव वाणी दे दी थी, उसके बताये मार्ग पर चलने पर ही राष्ट्र का कल्याण हो सकेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्र्रहित सर्वोपरी है पर उसके लिए भी उस व्यक्ति में राम तो होना चाहिए। रामदयालजी महाराज ने कहा है कि देश के नागरिकों मे राष्ट्र प्रेम, गुरू एवं राम भक्ति के संस्कार विकसित करने व उन्हें अंगीकार करने के लिए प्रयास होने चाहिए। रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा कि महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज की वाणीजी के नियमित पाठ से आत्मिक शांति मिलती है। साहित्यविद व लेखक गुलाब चंद कोठारी ने कहा कि वर्तमान की परिस्थितियों में मानवता का ज्ञान संतों के सानिध्य में ही मिल सकता है । यह सोडा ग्राम का सौभाग्य है कि महाप्रभु रामचरण जी महाराज का यहां जन्म हुआ। वर्तमान में व्यक्ति के इंसान बनने की जरूरत है। न की पढ़ लिखकर विद्वान जो केवल नौकरी और पेट पूजा कर सकें। इंसानियत होने पर ही इंसान जिंदा रह पाएगा। इंसान बनने के लिए संतों का सानिध्य, उनकी वाणी का पाठ, उनके उपदेशों का आत्मसात किया जाना बहुत जरूरी है । उन्होंने जोर देकर कहा कि आज पूरी दुनिया आपसी मतभेद में उलझी है। इसके निराकरण के लिए वाणी को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है। सम्प्रदाय से ऊपर उठकर मानवता व आपसी सद्भाव की बात की थी। आज भी समाज को आदर्श बनाने के लिए उनकी बातों पर अमल किया जाना जरूरी है। समारोह को केंद्रीय समिति के मंत्री डॉक्टर संत रामस्वरूप शास्त्री, संत जगवल्लभ राम,संत भगत राम, संत दिग्विजय राम ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में। क्षेत्रीय विधायक कन्हैया लाल तथा प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर जी एल शर्मा, जयपुर सहित कई विशिष्ट जन मौजूद थे। महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य त्रिशताब्दी महोत्सव केंद्रिय सेवा समिति के मंत्री डा. संतश्री रामस्वरूप शास्त्री ने शुरूआत में सभी का स्वागत करते हुए महोत्सव के तहत शाहपुरा के रामनिवास धाम में इसके निमित्त 2 से 7 फरवरी तक विशाल आयोजन किया गया जो शाहपुरा का ऐतिहासिक कार्यक्रम रहा है। उन्होंने महाप्रभु के जीवन चरित्र पर भी प्रकाश डाला। आचार्यश्री ने सभी सहयोगी संतों, कार्यकर्ता, रामस्नेही अनुरागियों को प्रशस्ति पत्र व शॉल ओढा कर उनका सम्मान किया। महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य त्रिशताब्दी महोत्सव केंद्रिय सेवा समिति के उपमंत्री व संत जगवल्लभराम महाराज व संत रामनारायण देवास ने सभी का आभार ज्ञापित करते हुए बताया कि प्राकट्य महोत्सव में प्रदेश के कई क्षेत्रों के सैकडों संत और हजारों रामस्नेही अनुरागी तथा भक्तजन शामिल हुए।