राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर की ओर से संचालित पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र, अविकानगर, टोंक द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) टोंक के संयुक्त तत्वावधान मैं “वैज्ञानिक तकनीक द्वारा उन्नत पशुपालन” विषय पर दो दिवसीय पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया | शिविर के शुभारंभ में केंद्र प्रभारी अधिकारी डॉ. अशोक बेंदा ने पशुपालकों का संबोधन किया | शिविर में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर टोंक के डॉ. आर. सी. शर्मा (प्रधान वैज्ञानिक) डॉ. दुष्यंत कुमार शर्मा (वैज्ञानिक) तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद नागर (प्रधान वैज्ञानिक) उपस्थित रहे| शिविर में डॉ. आर. सी. शर्मा ने पशुपालकों को पशुओं मैं नस्ल सुधार के वैज्ञानिक तरीकों के बारे में बताया| शिविर में डॉ. दुष्यंत कुमार शर्मा ने पशु पालकों को पशुओं में होने वाले विभिन्न रोगों जैसे- खुरपका -मुंहपका, फडकिया, गलघोटू, टिटनेस आदि के लक्षण तथा बचाव के बारे में बताया| शिविर में रोगों के घरेलू उपचार के बारे में भी बताया | शिविर में पशुओं में ताव के लक्षण तथा कृत्रिम गर्भाधान के बारे में भी बताया गया |शिविर में डॉ. दुष्यंत कुमार शर्मा ने पशुओं में टीकाकरण व कर्मी हरण के बारे मे पशुपालकों को जानकारी दी |शिविर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद नागर ने पशु पालकों को हरे चारे के विकल्प के रूप में चारा वृक्ष जैसे- नीम, अरडू ,सेंजना आदि के साथ-साथ नेपियर घास, हाथी घास, गिन्नी घास, धामण घास तथा सेवण घास की पशुओं के लिए उपयोगिता बताई |शिविर में केंद्र के डॉ. नरेंद्र चौधरी व डॉ. राजेश सैनी ने पशुपालकों को पशुओं के लिए संतुलित आहार की उपयोगिता बताई| शिविर में शिवजीराम यादव (उप-परियोजना निदेशक आत्मा), चेतन कुमार गुप्ता(कृषि पर्यवेक्षक) व हरिसिंह राजावत (कृषि पर्यवेक्षक) भी उपस्थित रहे| इस शिविर में 30 पशुपालक लाभान्वित हुए|