पचेवर क्षेत्र के चावण्डिया गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक संत श्री राम मनोहरदास जी महाराज ने बताया कि सच्चे मन से भगवद भक्ति में लीन रहने वाले भक्तों की करूण पुकार पर भगवान नारायण स्वयं उनकी रक्षा के लिए आते है। पानी में जब गजराज को मगर ने पकड लिया तथा गजराज ने भगवान से रक्षा की करूण पुकार की तो गरूड पर सवार भगवान नारायण ने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ की गर्दन काट कर गजराज को अभय दिया। भक्त प्रहलाद की भक्ति का उदाहरण देते हुए बताया कि अपने पिता हिरण्यकश्यप द्वारा नाना प्रकार के दुख व तकलीफो से भी विचलित नहीे होने वाले भक्त प्रहलाद के प्राण हरने का प्रयास किया गया तो भगवा नारायण ने खम्भ फाडकर नृसिंह का अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया तथा प्रहलाद के प्राणों की रक्षा की। संत श्री ने कहा कि भगवद भक्ति में लीन रहने वालों की चिंता तो स्वयं ठाकुर जी को करनी पडती है। भक्त की रक्षा के लिए भक्त वत्सल खुद दौडे आते है। कार्यक्रम संयोजक वैद्य दिनेश कुमार दाधीच ने बताया कि व्यासपीठ पर विराजित संत श्री राम मनोहरदास जी महाराज के श्रीमुख से कथा का उपस्थित श्रद्वालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया गया। इस अवसर पर संत श्री ने कहा कि गुरू कृपा से ही प्राणी को परमेश्वर की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर व्यासपीठ से धु्रव चरित्र, दक्ष प्रजापति द्वारा भगवान शंकर का अपमान किए जाने आदि प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया गया। इस दौरान कथा स्थल लक्ष्मीनारायण जी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित रहे।