डिग्गी उपतहसील मामले में न्यायालय ने नए आवंटन को किया निरस्त

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उपतहसील डिग्गी के भूमि आवंटन मामले में दौराने वाद किए गए नए आवंटन वाके ग्राम डिग्गी को न्यायालय वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश मालपुरा द्वारा निरस्त किया गया है। डिग्गी उपतहसील के निर्माण को लेकर 12 ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों द्वारा एक वाद सिविल न्यायालय मालपुरा के यहां प्रस्तुत किया गया था। जो विचाराधीन है, उक्त वाद के विचाराधीन होते हुए राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि जिला कलक्टर, तहसीलदार मालपुरा व नायब तहसीलदार डिग्गी द्वारा पूर्व में उपतहसील डिग्गी के लिए एक भवन आराजी खसरा नबर 31/4 रकबा 1 बीघा 10 बिस्वा भूमि वाके ग्राम भीपुर(डिग्गी नुक्कड)पर आवंटित की गई थी। उसके पश्चात दौरान वाद व न्यायालय हाजा के स्थगन आदेश के अस्तित्व में रहते हुए राय सरकार के प्रतिनिधि जिला कलक्टर, तहसीलदार मालपुरा व डिग्गी नायब तहसीलदार द्वारा उक्त खसरा नबर 31/4 रकबा 1 बीघा 10 बिस्वा भूमि वाके ग्राम भीपुर के आवंटन जो कि उपतहसील भवन के लिए आवंटित हुआ था उसको दिनांक 1 अक्टूबर 2015 को निरस्त करते हुए आराजी खसरा नबर 3418/1 रकबा 14 बीघा 5 बिस्वा भूमि से 3 बीघा 4 बिस्वा भूमि वाके ग्राम डिग्गी में जिला कलक्टर टोंक के आदेश से नामांतकरण संया 5162 दिनांक 20 अक्टूबर 2014 को नवीन आवंटन उपतहसील भवन हेतु आवंटित कर दी गई। इस पर वादी के अधिवक्ता मोहनलाल चौधरी द्वारा एक प्रार्थनापत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया कि उक्त दोनों खसरा नबरों की वाद के समय की स्थिति अमल में लाई जाए। जिस पर न्यायालय द्वारा प्रार्थनापत्र स्वीकार कर आराजी खसरा नबर 31/4 रकबा 1 बीघा 10 बिस्वा भूमि वाके ग्राम भीपुर तथा आराजी खसरा रकबा 14 बीघा 5 बिस्वा भूमि वाके ग्राम डिग्गी में दौराने वाद व न्यायालय हाजा के स्थगन आदेश अस्तित्व में रहते हुए किए गए परिवर्तन को खारिज किया गया।

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