सिकुडती सीमाओं, गंदगी व अतिक्रमण की जद में आए बब तालाब को बचाने के लिए आगे आए शहरवासी

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शहर के प्रसिद्ध जलाशय बब (ब्रह्म)तालाब के अस्तित्व को बचाने की मुहिम अब धीरे-धीरे रंग लाने लगी है तथा नगरपालिका, सामाजिक संगठनों सहित आमजन के सहयोग से जलाशय का स्वरूप निखरने की ओर अग्रसर है। खास बात यह है कि क्षेत्र के सबसे बडे बांध रूप में जिले में बीसलपुर जैसे विशाल बांध के होने के बावजूद आमजन को आई पानी की किल्लत ने आमजन को यह समझा दिया है कि समय रहते पानी व पानी के स्त्रोतों की रक्षा-सुरक्षा नहीं की गई तो आने वाली पीढीयों को भारी परेशानी का सामना करना पडेगा। कालान्तर में शहर के विस्तार को ध्यान में रखते हुए 315 बीघा पर ऐतिहासिक अब तालाब का निर्माण हुआ जिसके चारों की 51 से अधिक कुएं व कई घाटों का निर्माण करवाया गया था। लेकिन आबादी बढने व मनुष्य की स्वार्थपरता ने तालाब के अस्तित्व पर संकट खडा कर दिया। हाल यह हो गया कि कभी प्राकृतिक सौन्दर्य का विलक्षण उदाहरण माना जाने वाला बब तालाब अतिक्रमण, गंदगी व अतिक्रमण से अट गया तथा लोगों ने इसकी सीमाओं में घुसकर विकास के नाम पर विनाश लीला की शुरूआत कर दी जो अब तक लगातार जारी है। आखिरकार शहरवासियों ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की ठानी। जिसमें नगरपालिका का खासा सहयोग रहा। पालिकाध्यक्ष आशा-महावीर नामा, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रामगोपाल शर्मा, एडवोकेट रघुवीर सिंह, बालकिशन सोनी सहित धावक डिफेन्स ऐकेडमी के विद्यार्थियों सहित शहरवासियों ने इसे एक आन्दोलन का रूप देते हुए धरोहर के संरक्षण की तरफ कदम बढाया जिससे देखते ही देखते तालाब का स्वरूप निखरने लगा है। भारत विकास परिषद अध्यक्ष रामगोपाल शर्मा ने बताया कि बब तालाब में छतरी मार्ग तक दोनों तरफ फैले कचरे को हटाकर तालाब के जल को स्वछ रखने के लिए कचरा मुक्त बनाने व खुदाई एवं वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है। पालिकाध्यक्ष आशा-महावीर नामा ने बताया कि तालाब के चारों ओर स्थित सभी कुंओं की सफाई करवाई जाएगी तथा तालाब को कचरामुक्त करवाकर साफ एवं स्वछ बनाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। आगामी दिनों में तालाब के सौन्दर्यकरण की योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा। शहरवासियों की ओर से तालाब पर स्वछता कार्यक्रम को लेकर लगातार श्रमदान जारी है।

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