साढे चार साल पहले 400 करोड रूपयों से ज्यादा की लागत से निर्मित करवाया गया जयपुर भीलवाडा रोड बाइपास नहीं बनने से लोगों की मौत का मुख्य कारण बना हुआ है। जबकि सडक निर्माता ठेकेदार कम्पनी को मुख्य सडक मार्ग का कार्य पूरा होने के तुरंत बाद अन्य शहरों के साथ मालपुरा में भी बाइपास निकालने के आदेश दिए गए थे। खास बात यह है कि बाइपास के लिए राज्य सरकार के आदेशानुसार जिला व उपखंड प्रशासन द्वारा बाइपास का रास्ता चिन्हित कर भेजा गया। जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृत कर बीच में आने वाले खेतों व निजी व सरकारी जमीनों को अधिग्रहण करने के आदेश भी जारी कर दिए लेकिन जयपुर-भीलवाडा मार्ग शुरू होने के चार साल बीत जाने के बावजूद आज तक बाइपास रोड का निर्माण नहीं किया गया है। स्थिति यह है कि शहर के मध्य से गुजर रहे इस स्टेट हाईवे के कारण जहां तेज गति से भारी वाहनों के सरपट दौडने का क्रम बना हुआ है वहीं शहरवासियों में ध्वनि, वायु प्रदूषण के साथ-साथ सडक दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढा है। जबकि स्थानीय अधिकारी बाइपास रोड निकालने के मामले में शीघ्र कार्य शुरू होने की बात कहते है। जयपुर-भीलवाडा रोड पर मालपुरा के आस-पास बीते चार सालों में सडक दुर्घटना में हुई कई लोगों की मौतों के बावजूद इलाके में विकास का ढोल पीटने वाले जनप्रतिनिधियों को इस पीडा से कोई सरोकार नहीं है। यही कारण है कि तबादला, राजनैतिक खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप सहित अन्य मामलों में हस्तक्षेप करने वाले मालपुरा के जनप्रतिनिधियों व नेताओं ने जयपुर-भीलवाडा के बाइपास निकालने के मामले में आज तक कोई प्रयास नहीं किया। जिससे लोगों में तो रोष है ही उन परिवारों में भी आक्रोश व्याप्त है जिनके सदस्य शहर के बीच में होकर निकल रही सडक पर दुर्घटना में अकाल मौत के ग्रास बन गए। अगर स्थानीय जनप्रतिनिधि जयपुर-भीलवाडा रोड पर चालू किए गए टोल प्लाजा के विरोध के साथ ही बाइपास के कार्य को चालू करने के लिए दमखम लगाते तो आज शहर के बीच में से होकर निकलने वाले बडे-बडे वाहन बाइपास से होकर निकल रहे होते।