प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। देश की 140 करोड़ जनता को आजादी के महान पर्व पर शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे अनगिनत वीरों के बलिदान और योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि उस पीढ़ी में शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिन्होंने आजादी के संघर्ष में योगदान और बलिदान न दिया हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वर्ष रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती का वर्ष है। ये वर्ष मीराबाई के 525 वर्ष का भी वर्ष है। इस बार 26 जनवरी हमारे गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ होगी। पल-पल प्रेरणा और पल-पल संकल्प का इससे बड़ा अवसर नहीं होगा। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने मणिपुर में हिंसा के दौर और मां-बहनों के साथ अत्याचार पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा और इसके लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों को मिलकर प्रयास करने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं जो सदियों तक अपनी अमिट छाप छोड़ जाती हैं। कई वर्षों पहले देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा गया था। भारत के वीरों ने आजादी की लौ जलाए रखने तथा बलिदान की परंपरा बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि जन चेतना, त्याग और तपस्या के कारण देश 1947 में आजाद हुआ। हम ऐसे काल खंड में जी रहे हैं जब अमृतकाल का पहला वर्ष है। इस काल खंड में उठाए गए कदम त्याग और तपस्या आने वाले एक हजार साल के इतिहास का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि गुलामी की मानसिकता से निकलकर देशा आज जी जान से आगे बढ़ रहा है। श्री मोदी ने कहा कि विश्व भर में भारत की चेतना और सामर्थ्य के प्रति नई आशा और विश्वास बढा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज पुरानी सोच और पुराने ढर्रों को छोडकर आगे बढ रहा है। बडा सोचना, दूर का सोचना हमारी सरकार की कार्यशैली रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज करीब 5 हजार अमृत सरोवरों पर कार्य हो रहा है। 18 हजार गॉवों तक बिजली पहुँचाने जैसे सभी लक्ष्य हासिल किए जा रहे हैं।