मालपुरा पंचायत समिति में मूल पदस्थापित ग्राम विकास अधिकारियों की जगह व्यवस्थार्थ ग्राम विकास अधिकारियों के माध्यम से कराडों के वित्तीय लेन-देन करने का मामला सामने आया है। जिसमें जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों के साथ मिली-भगत कर नियमों की खुलेआम धज्जियां उडाई है। जिसमें वित्ीय एवं प्रशासनिक नियमों को धत्ता बताया गया है। पंचायत समिति सदस्य शिमला चौधरी की ओर से मालपुरा पंचायत समिति विकास अधिकारी से पंचायत समिति में वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की गई है। पंचायत समिति सदस्य चौधरी की ओर से सौंपे गए स्मरण पत्र में अवगत करवाया गया है कि पंचायत समिति मालपुरा कार्यालय एवं समिति परिक्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों की प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताएं देखी गयी है। जिनमें विगत तीन-चार वर्षो में कई पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर मूल पदस्थापित कार्मिक से कार्य करवाने के बजाय व्यवस्थार्थ ग्राम विकास अधिकारी लगाकर उससे वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य करवाए गए है, तथा वर्तमान में भी करवाए जा रहे है। जबकि व्यवस्थार्थ कार्मिक से पूर्व में पदस्थापित कार्मिक के बजाय वित्तीय लेन-देन नियमानुसार नहीं करवाए जा सकते है। मूल पदस्थापित ग्राम विकास अधिकारी को बिना कार्य के वेतन भुगतान करना भी नियम विरुद्ध है। इसी प्रकार पंचायत समिति में व्याप्त प्रशासनिक अनियमितताओं में स्वीकृत पदों के विरूद्ध दोगुना से अधिक लिपिक पंचायत समिति मुख्यालय पर कार्यरत है। जबकि कई ग्राम पंचायतों में लिपिक के पद रिक्त पडे है। कार्यालय में सहायक लिपिकों के पद स्वीकृत नहीं होने के बावजूद भी कृपापात्र लिपिक उन पदों पर पदस्थापित है व वेतन, भत्ते उठा रहे है। चौधरी ने तुरन्त प्रभाव से समानीकरण किए जाने की भी मांग की है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि कार्यालय की कई शाखाओं का चार्ज लम्बे समय से कुछ चुनिंदा कार्मिकों के पास चला आ रहा है जिससे इनके एकाधिकार के कारण सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लाभान्वितों को देने में कई प्रकार के निजी कारणों से उत्पन्न समस्याएं आ रही है। चौधरी ने अनावश्यक कार्मिकों की लापरवाही से रिण्डल्याबुजुर्ग एवं इंदोली ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री आवास की किश्त के भुगतान में देरी का मामला भी उठाया है जिसमें प्रकरणों के भुगतान में देरी की निष्पक्ष जांच करवाकर लाभान्वितों को अविलम्ब भुगतान की प्रक्रिया करवाए जाने की मांग की गई है। चौधरी ने वित्तीय अनियमितता के लिए निष्पक्ष जांच करवायी जाकर दोषी कार्मिकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है। पंचायत समिति सदस्य शिमला चौधरी ने पत्र की प्रतिलिपी मंत्री, ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज विभाग जयपुर, उपाध्यक्ष, बीसूका राजस्थान, जिला कलेक्टर टोंक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद टोंक को प्रेषित कर ध्यानाकर्षण किया है।