कहते है कि लालच बुरी बला है, किसी को कोसने से क्या हों। जी हां यह जुमला उन सैंकडों परिवारों व जिम्मेदार विभागों के लिए सटीक साबित हो रहा है जिन्होंने अपने मामूली लालच के लिए पानी की निकासी के नालो, नाडियों व अतिक्रमणों को नजरंदाज कर दिया और चंद स्वार्थ के खातिर पानी की सुगम निकासी के रास्तों को अवरूद्ध कर दिया जिसका नतीजा यह है कि बारिश होते ही पानी की निकासी के अभाव में शहर व शहर से सटी ग्रामीण क्षेत्र की अवासीय कॉलोनियों में भारी मात्रा में पानी जमा हो जाता है तथा पैदल निकलना तो दूर वाहनों तक का निकलना संभव नहीं हो पाता है। घर टापू बन जाते है तथा घरों में प्रवेश के रास्ते तक नहीं बचते है। हालत यह हो जाती है कि शहर के बस स्टैण्ड, ट्रक स्टैण्ड, जनता कॉलोनी, नवीन मंडी, माणक चौक बाजार सहित मीर कॉलोनी, बृजलाल नगर, हाउसिंग बोर्ड, रामनगर, शिवाजी कॉलोनी की इस कदर दुर्दशा हो जाती है कि दुकानों, मकानों में पानी भर जाता है, घरों के बाहर खडे वाहन बहने की स्थिति में आ जाते है। दुपहिया वाहनों व चौपहिया वाहनों से भी निकलना संभव नहीं हो पाता है। दुकानों, मकानों में पानी भरने की समस्या इस शहर में नई नहीं है। बस स्टैण्ड व उसके बाहरी इलाके, जनता कॉलोनी में पानी घरों में जमा हो जाता है तथा तेज बरसात के साथ ही लोगों द्वारा प्रशासन को कोसना व जागकर रात बिताना इनकी नियति बन चुकी है। इसके कारणों की गहराई में जाए तो पता चलता है कि जहां नगरपालिका ने कई अतिक्रमणों को खांचा भूमि, मौके पर काबिज होने की स्थिति सहित अन्य कारणों से इनके नियमन कर दिए जिसका नतीजा यह हुआ कि पानी की निकासी के समस्त माध्यम बन्द हो गए। अपने स्वार्थ के चलते बस स्टैण्ड के बाहर बनी नाडी देखते ही देखते व्यवसायिक दुकानों व आवासीय कॉलोनी में तब्दील हो गई जिससे आस-पास का पानी निकलने के लिए रास्ते तक नहीं बचे। कमोबेश यही हाल बृजलाल नगर क्षेत्र का है जहां कृषि उपज मंडी में से होकर निकलने वाले विशाल बरसाती नाले को अवरूद्ध किए जाने के बाद से दूदू रोड, बृजलाल नगर व कृषि मंडी के पीछे के इलाके में बसे घरों, शिव कॉलोनी, शिवाजी कॉलोनी सहित सदरपुरा रोड तक के इलाके के पानी के बम्ब तालाब में जाने का सुगम मार्ग बंद हो गया तथा पानी निकलने का कोई मार्ग नहीं बचा जिससे आज यह आवासीय कॉलोनियों बरसात होते ही जलमग्न होना शुरू हो जाती है। लोगों ने अपने लालच के चलते नालों को सिकुडा दिया है तथा व्यवसायिक व आवासीय निर्माण कर लिए जिससे बम्ब तालाब में भी पानी की आवक समाप्त हो गई। क्या किसी शहरवासी में हिम्मत है कि वह नगरपालिका से पूछे कि महेश सेवा सदन की ओ जाने वाले रास्ते का नाला, कृषि उपज मंडी का नाला, राउमा विद्यालय के बाहर से तालाब की ओर जाने वाला बडा नाला, बस स्टैण्ड के बाहर बडा नाला, बस स्टैण्ड के बाहर नवीन मंडी का नाला, नवीन मंडी के केदारनाथ मंदिर की ओर खुलने वाले दो बडे नाले, बस स्टैण्ड के बाहर नाडी आखिर कहां गई। आखिर पानी की निकासी व तालाब की इन आवक के रास्तों को कौन निगल गया। तालाबी क्षेत्र में बिना किसी अनुमति के अवैध निर्माणों ने जिले के सबसे सुंदर व बडे तालाब का दृश्य बदल कर इतना कुरूप कर दिया कि आज तालाब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है। लेकिन लालच व स्वार्थ में अंधे हो चुके इंसान व विभागों की मौन स्वीकृति ने शहर के हालातों को बद से बदत्तर कर दिया जिसका परिणाम यह है कि बरसात होते ही पानी के भराव की समस्या शुरू हो जाती है।