सच्चा गुरू वहीं है जो धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य, अच्छाई-बुराई में भेद करने की दृष्टि प्रदान कर सके। गुरू ही अपने उपदेशों से समाज का पथ प्रदर्शक बन कर अपने दायित्व का निर्वहन करता है। गुरू वह है जो धर्म व सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे। महाराज श्री ने सोडा धाम पर आयोजित धर्मसभा में मौजूद श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म में आस्था रखनी चाहिए क्योंकि धर्म ही अन्तर्मन में वह भाव जाग्रत करता है जो आपको अधर्म के मार्ग पर जाने से ना केवल रोकता है बल्कि आपको कचोटता भी है कि आप गलत कर रहे है। लेकिन आज खान-पान, रहन-सहन सहित आचरण दूषित होने की वजह से आदमी अपने अन्र्तमन की आवाज को दबा कर विपरीत आचरण कर रहा है जिसका नतीजा वह तनाव, बीमारियों सहित अन्य व्याधियों के रूप में भुगतने को मजबूर है। धर्ममय आचरण से व्यक्ति स्वयं शुद्ध रह कर अपने आस-पास के वातारण को भी शुद्ध बनाता है। महाराज श्री ने मौजूद श्रद्धालुओं को व्यसनों से दूर रहकर धर्ममय आचरण के लिए संकल्प दिलाया। जगदगुरू स्वामी श्री रामदयाल जी महाराज शाहपुरा धाम पर चातुर्मास पूर्ण कर सोमवार को मालपुरा होते हुए प्राकटयस्थली सोडा पहुंचे। जहां महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हजारों भक्तों का सैलाब उमडा। जगदगुरू शाहपुरा से रवाना होकर केकडी, मालपुरा होते हुए सोडाधाम पहुंचे महाराज का जगह-जगह स्वागत किया गया तथा महाराज की चरणवंदना कर आशीर्वाद लिया। केकडी रोड स्थित रामद्वारा में पहुंचने पर विजयवर्गीय(वैश्य)महासभा मालपुरा की ओर से महाराज श्री का भव्य स्वागत किया गया जहां समस्त विजयवर्गीय समाज के सैंकडों महिला-पुरूषों सहित समाजबंधुओं ने महाराज की अगुवानी की। इस अवसर पर अध्यक्ष मुरलीधर डांस, हनुमान, सीताराम डालमिया, रामबाबू क्याल, प्रहलाद सागरिया, रामजीलाल, रामस्वरूप बोरा, रामनारायण मास्टर, रामवतार पाटोदी, बबलू कापडी, रमेश चंद चांदसेन, शंकर नीमेडा, भंवर क्याल, हेमराज गोवर्धनपुरा, दिनेश आनन्द, विजयशंकर डूंगरी, कन्हैया लाल हाथगी, विष्णु राजपुरा सहित युवा महामंत्री प्रदीप पाटोदी सहित अन्य मौजूद रहे। इसके पश्चात महाराज श्री ने सोडा के लिए प्रस्थान किया।