राजस्व कार्मिकों के बहिष्कार से प्रशासन गांव के संग अभियान का पहला दिन फ्लॉप-शो

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प्रशासन गांव व शहर के संग अभियान की रीढ माने जाने वाले राजस्व कार्मिकों ने किया अभियान का बहिष्कार व दिया धरना
प्रशासन गांव व शहर के संग अभियान की रीढ माने जाने वाले राजस्व कार्मिकों ने किया अभियान का बहिष्कार व दिया धरना

प्रदेशवासियों को एक ही छत के नीचे विभिन्न विभागों से जुडे कार्यो को सम्पादित करने के लिहाज से राज्य सरकार के महत्वपूर्ण अभियान प्रशासन गांव के संग व प्रशासन शहरों के संग अभियान की सफलता पर राजस्व कार्मिकों के बहिष्कार से सवालिया निशान खडे हो गए है। जिसके चलते अभियान का पहला ही दिन फ्लॉफ शो साबित हुआ। शिविरों में राजस्व से जुडे महत्वपूर्ण कार्यो में से कोई भी काम नहीं होने से लोगों को निराशा हाथ लगी। राजस्व सेवा परिषद के आह्वान पर सम्पूर्ण प्रदेश के राजस्व कार्मिकों ने लम्बे समय से लम्बित चल रहे सातसूत्री मांगपत्र का निस्तारण नहीं होने पर अभियान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इसकी परिणिति में शनिवार को राजस्व कार्मिकों ने तहसील कार्यालय के बाहर अभियान के बहिष्कार की घोषणा करते हुए धरना देकर अपना विरोध प्रदर्शन जताया। धरने में कार्यवाहक तहसीलदार प्रहलाद सिंह राठौड, नायब तहसीलदार हंसराज तोगडा, गिरदावर संघ के सदस्य तथा समस्त पटवारी शामिल हुए। गिरदावर संघ अध्यक्ष रामदास माली, पटवार संघ अध्यक्ष बाबूलाल वर्मा ने बताया कि राजस्व सेवा परिषद के घटकों ने एकराय होकर निर्णय लिया है जिसके बाद प्रदेशस्तर पर अभियान का बहिष्कार किए जाने का निर्णय लिया गया है।

यह अटके काम-राजस्व विभाग द्वारा अभियान के अन्तर्गत होने वाले कार्यो में खातों का शुद्धिकरण, खातो का विभाजन, विरासत के नामान्तकरण, गैर खातेदारी से खातेदारी, पत्थरगढी, सरकारी कार्यालयों के लिए भूमि आवंटन पत्रावलियों का निस्तारण, रास्तों का राजस्व अभिलेख में अंकन, खाद्य सुरक्षा, जाति, मूल, ईडब्लूएस सहित कई महत्वपूर्ण कार्य अटक गए है। लम्बे समय से अभियान के तहत होने वाले कार्यो का इंतजार कर रहे फरियादियों को शिविरों में पहुंचकर निराशा हाथ लग रही है।

राज्य सरकार द्वारा प्रशासन शहरों के संग अभियान व प्रशासन गांव के संग अभियान के अन्तर्गत लगभग 21 विभागों के अधिकारियों की मौजूदगी शिविरों में सुनिश्चित की गई थी लेकिन राजस्व कार्मिकों के बहिष्कार के चलते अभियान पहले ही दिन फुस्स साबित हुआ। बगैर राजस्व कार्मिका के अभियान का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। जबकि राज्य सरकार इस अभियान से बडी उम्मीदे लगाई बैठी थी तथा शिविरों के माध्यम से आमजन को लाभान्वित कर गुड गवर्नेस का मैसेज देना चाहती थी लेकिन पहले ही दिन राजस्व कार्मिकों के बहिष्कार से अभियान की हवा निकल गई।

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