लोकडाउन खुले, ना खुले, पढ़ाई होनी चाहिए
हम स्कूल खुलने का पिछले एक साल से इंतजार कर रहे हैं परन्तु स्कूल कब खुलेंगे कुछ पता नहीं। लोकडाउन का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण बच्चों की मानसिकता पर पड़ा है। उनके पास पढ़ाई का कोई साधन नहीं है। सरकार काम से कम बच्चों के पास किताबें तो पहुंचाए। विश्व बालश्रम निषेध दिवस की पूर्वसंध्या पर श्रम विभाग, राजस्थान सरकार, सेव द चिल्ड्रन और वर्क नो चाइल्ड्स बिजनैस द्वारा आयोजित वेबिनार में टांडा रत्ना, बांसवाड़ा की रोशनी डोडियार ने आगे कहा कि सरकार ग्रामीण बच्चों की समस्याओं पर तुरंत ध्यान दे। कुकड़ा, राजसमंद की 8 वीं कक्षा की छात्रा निकिता ने बताया कि गांवों में बच्चे मज़दूरी कर रहे हैं और लड़कियों का बाल विवाह हो रहा है। डूंगरपुर की संतोष ने बताया कि वो पढ़ना चाहती है पर साधनों का अभाव है। भीम, राजसमन्द के एकांश ने बताया कि मेरे दोस्त के पापा शराब पीते हैं और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो उसे कमाने के लिए जाना पड़ता है। सासरपुर की सुमन(परिवर्तित नाम) ने बताया कि मेरे माता पिता के साथ मैं भी गुजरात मज़दूरी के लिए गई थी वापस गांव आई तो सेव द चिल्ड्रन ने मेरा स्कूल में भर्ती कराया पर तब से ही स्कूल बंद हैं। बांसवाड़ा के आयुष मकवाना ने बताया कि पढ़ाई नहीं हो रही है तो बच्चे बकरियाँ चराने और खेती का काम करने जा रहे हैं। सेव द चिल्ड्रन के उपनिदेशक संजय शर्मा ने बताया कि बालश्रम की रोकथाम के लिए पिछले 20 साल से किये जा रहे प्रयासों को कोरोना के कारण धक्का पहुंचा है। बच्चों को कोरोना की परिस्थितियों ने बच्चों की मानसिकता को बुरी तरह प्रभावित किया है। आर्थिक तंगी के कारण बालश्रम में बढ़ोतरी हुई है। हमें समाज के स्तर पर सुविधाएं पहुंचा कर
इसे रोकना होगा। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से परिवारों को जोड़ना होगा। नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के रिटायर्ड सीनियर फ़ेलो डॉ महावीर जैन ने कहा कि सरकार को गाँव, ब्लॉक और जिला स्तर पर रोड़ मैप बनाने होंगे। बालश्रम के लिए समर्पित लोगों को सरकार अपने कार्यक्रम से जोड़े। बच्चों को केंद्र में रख कर योजनाएं बनानी होंगी। सेव द चिल्ड्रन के बाल सुरक्षा अधिकारी रमाकांत सतपती ने बताया कि हमें एक सूत्री कार्यक्रम नो चाइल्ड लेबर अप्रोच के साथ काम करना होगा। हमें 5 से 14 साल तक के बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा। राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ शैलेन्द्र पंड्या ने बताया कि बालश्रमिकों के रेस्क्यू के बाद पुनर्वास की व्यवस्था करनी होगी। बालश्रम के सोर्स और डेस्टिनेशन दोनों जगहों पर काम होना चाहिए। बालश्रमिक नियोक्ताओं पर कड़ी कारवाई होनी चाहिए। ससरपुर, डूंगरपुर के सरपंच हरीश चन्द्र कटारा ने बताया कि हमने सेव द चिल्ड्रन के साथ मिल कर बाल संरक्षण समिति को सशक्त बनाया है और लागातार निगरानी कर बच्चों का गुजरात पलायन रोका है। गांव स्तर पर ही वॉलिंटर्स के माध्यम से बच्चों को घर पर रह कर पढ़ाई के लिए माहौल बनाया है।श्रम विभाग के उपायुक्त उमेश रायका ने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम के लिए समेकित प्रयास आवश्यक है। कोविड के कारण बच्चे प्रभावित हुए हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि बच्चे बालश्रम में ना जाएं।
*बालश्रम जागरूकता गीत रिलीज*
बालश्रम की रोकथाम के लिए श्रम विभाग और सेव द चिल्ड्रन द्वारा अभियान गीत जारी किया गया। अशेष शर्मा द्वारा लिखित गीत को रविन्द्र उपाध्याय और रुचि खण्डेलवाल ने गाया है। इसे अमित ओझा ने संगीतबद्ध किया है। इस अवसर पर बॉलीवुड सिंगर रविन्द्र उपाध्याय ने कहा कि हर एक व्यक्ति को बालश्रम रोकथाम की ज़िम्मेदारी लेनी होगी। हर बच्चा पढ़ना चाहता है आगे बढ़ना चाहता है हमें उसे उचित अवसर देने होंगे। मैं अपने गीतों के माध्यम से मन के भाव जगाता हूँ और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभा कर खुश हूं।