टोंक में डारडातुर्की की वसुंधरा और जोधपुर में आशापुरा की जशोदा हुई चयनित

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नीदरलैंड की किड्स राइट्स संस्था ने की अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरूस्कार 2020 के नामांकन की घोषणा

नीदरलैंड की बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रही किड्स राइट्स संस्था द्वारा लैंगिक समानता के क्षेत्र में राजस्थान के टोंक की वसुंधरा और जोधपुर की जशोदा अंतर्राष्ट्र्रीय बाल शांति पुरूस्कार के लिए नामांकित हुई हैं ।बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रही किड्स राइट्स संस्था द्वारा हर साल उल्लेखनीय कार्य करने वाले बच्चों को अंतर्राष्ट्र्रीय बाल शांति पुरूस्कार के लिए नामांकित किया जाता है । इस साल 42 देशों से 142 बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरूस्कार के लिए नामांकित किया गया हैl पुरूस्कार की अन्तिम घोषणा 13 नवंबर 2020 को होगी। इस साल भारत से 24 बच्चों का नामांकन किया गया है। सेव द चिल्ड्रन के सी ई ओ सुदर्शन सूचि ने वसुंधरा और जशोदा को बधाई देते हुए कहा है कि सेव द चिल्ड्रन में “हमारा मानना है कि हर आखिरी छोर पर रह रहे बच्चे के लिए वास्तविक और स्थायी बदलाव केवल तभी संभव है जब बच्चे बदलाव की प्रक्रिया का हिस्सा हों! ये वो बच्चे हैं, जो अक्सर समाज के हाशिए पर रह रहे समुदायों से होते हैं और खुद जीवन जीने के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं, बावजूद इसके ये ना केवल अपना जीवन बदल रहे हैं बल्कि विपरीत परिस्थितियों में जी रहे अन्य बच्चों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध हैंl राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों इन बच्चों को पहचान मिलना उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास है और बाल अधिकारों पर आवाज़ उठाने के प्रयासों को मज़बूती देते हैं “l सेव द चिल्ड्रन उपनिदेशक संजय शर्मा ने बताया कि दुनियां भर में सामाजिक क्षेत्रों और बाल अधिकारों के लिए सराहनीय योगदान देने वाले बच्चों के लिए दिया जाने वाला यह सबसे बड़ा पुरूस्कार है। वसुंधरा का इस पुरूस्कार के लिए नामांकित होना बाल अधिकारों को हासिल करने की लड़ाई लड़ रहे बच्चों के लिए बड़ी प्रेरणा की बात है । उन्होंने बताया कि नोबेल पुरूस्कार विजेता मलाला युसुफजाई को 2013 में अंतर्राष्ट्र्रीय बाल शांति पुरूस्कार से सम्मानित किया जा चुका है l

शिव शिक्षा समिति के सचिव शिव जी राम यादव ने बताया कि वसुंधरा राजस्थान के टोंक जिले के डारडा तुरकी गाँव रहने वाली है। शिव शिक्षा समिति के साथ वह जीवन कौशल शिक्षा सत्रों के माध्यम से 180 से अधिक लड़कियों को प्रशिक्षित कर चुकी है चुप्पी तोड़ो कार्यक्रम के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता लाने में वसुंधरा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है । वसुंधरा ने अपने गाँव में बालिकाओं के बीच बाल विवाह और यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्हें ग्राम पंचायत स्तर की लड़कियों के फेडरेशन और ब्लॉक स्तर की लड़कियों के फेडरेशन के सचिव और मीडिया प्रभारी के रूप में चुना गया है। वसुंधरा ने ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर लड़कियों की मांग को अधिकारियों को सौंपने और उन कामों का फॉलोअप कर उन्हें पूरा करने के अभियानों का नेतृत्व किया है। वसुंधरा ने खेड़ुला गाँव के स्कूल को 5 वीं से 8 वीं कक्षा तक अपग्रेड करने, गाँव के निजी स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन योजना का लाभ पहुंचाने, सेनेटरी नैपकिन के निपटान के लिए इंसीनेरेटर लगाने आदि कार्यों के लिए हमेशा आवाज़ उठाई है। वसुंधरा और उसकी सहेलियों ने मिल कर जोला गाँव के लिए स्वास्थ्य उप केंद्र, शराब की दुकान को गाँव हटाने, भारत सरकार की योजना राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ कार्यकम में टोंक जिले को शामिल करना के लिए सरपंच, जिला कलेक्टर, संसद सदस्य, उपमुख्यमंत्री, मीडिया आदि ज्ञापन सौंपें हैं ।

सेव द चिल्ड्रन के शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना के समन्वयक नीरज जुनेजा बताया कि पंद्रह वर्षीय वसुंधरा एक मध्यम वर्गीय परिवार से है। उनकी मां गृहिणी हैं जबकि उनके पिता जयपुर के एक निजी कॉलेज में कंप्यूटर शिक्षक हैं। उसके माता-पिता के अलावा परिवार में उसके 2 छोटे भाई-बहन और दादा-दादी हैं। उसकी माँ और पिता ने उसे सामाजिक कुरीतिओं के खिलाफ जागरूकता लाने और करने और अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता दी है और सेव द चिल्ड्रन तथा शिव शिक्षा समिति द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षणों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। स्कूल और पंचायत ने भी उसके प्रयासों की सराहना की है। समाज में बाल विवाह, लिंग आधारित हिंसा, लड़कियों के साथ भेदभाव आदि पर जागरूकता लाने के लिए वसुंधरा द्वारा अपनी बालिका फेडरेशन के साथ मिल चलाए गए अभियानों की सराहना प्रशासन और पंचायत द्वारा की गई है । वसुंधरा ने बताया कि परिवारों में आज भी मासिक धर्म स्वास्थ्य, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों पर चर्चा नहीं की जाती है, मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को कई असुविधाओं और पाबंदियों का सामना करना पड़ता है । अपनी पढाई के दौरान वसुंधरा गाँव में शिव शिक्षा समिति की शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना समन्वयक धोली के संपर्क में आई और जल्दी ही चिल्ड्रन्स ग्रुप की मेंबर बनी, उसने जीवन कौशल शिक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त किया l सामाजिक कार्यों में वसुंधरा की रूचि को देख कर धोली ने वसुंधरा के माता-पिता से संपर्क किया और वसुंधरा को प्रोत्साहित करने की सलाह दीl वह 2017 में किशोर चर्चा समूह के सदस्य के रूप में शिव शिक्षा समिति और सेव द चिल्ड्रन प्रोजेक्ट से जुड़ी थीं। लड़कियों के समूह के साथ उसके जुड़ाव के बाद उसने किशोर लड़कियों के मुद्दों में गहरी दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। उसने लड़कियों की स्थिति को भांपना शुरू कर दिया, जैसे लड़कियों को पढाई के लिए बाहर नहीं भेजना, खेती में काम करना, लड़कों के कमेंट सुनना, लड़कियों की जल्दी शादी करना आदि। वसुंधरा ने इन्हीं मुद्दों को चर्चा का आधार बनाया, लड़कियों को जागरूक किया और समाज के विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज़ उठाईl

भविष्य में वसुंधरा गर्ल्स फेडरेशन को मजबूत करना चाहती है। वसुंधरा का मानना है की हर गाँव,ब्लाक, जिला और राज्य तक लड़कियों को अपनी बात कहने के मंच उपलब्ध होने चाहिए, यह विभिन्न स्तरों पर लड़कियों के मुद्दों पर वकालत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, वह राज्य स्तरीय लड़कियों का फेडरेशन बनाने का भी सपना देखती है।

उरमूल ट्रस्ट के सचिव अरविंद ओझा ने बताया कि जशोदा-जोधपुर के औसियां तहसील के आशापुरा गांव की रहने वाली हैं। जशोदा अपने गांव की पहली लड़की है जो गांव से दस किलोमीटर दूर हाईस्कूल में पढ़ने जाती हैं। जशोदा के पिता पत्थरों की खदान में मज़दूरी करते हैं और माँ ग्रहणी है। जशोदा 2017 में चिल्ड्रन्स ग्रुप की मैंबर बनी और शीघ्र ही वह अपने समूह की चर्चा लीडर बन गई।महिला हिंसा के खिलाफ चलाये जा रहे अभियानों के नेतृत्व किया और आसपास के स्कूलों में जा कर लड़कियों को उनके अधिकारों और जागरूक किया। जशोदा जीवन कौशल शिक्षा की प्रशिक्षक है और अब तक 120 बालिकाओं को प्रशिक्षित कर चुकी है। बाल विवाह की रोकथाम, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना और महिला हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठा कर जशोदा अन्य लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभर कर आई हैं। जशोदा यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी लड़की किसी भी कारण से शिक्षा से वंचित ना रहे । जशोदा ने लड़कियों को यौन एवम प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम का सफल संचालन किया। लोकडाउन के दौरान उसने मुफ्त सेनेटरी पेड की सप्लाई रुक जाने पर आवाज़ उठाई और सप्लाई नियमित करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ के लिए जशोदा ने चुप रह कर सहने के बजाय पलट कर जवाब देने और मुकाबला करने का संदेश दिया। पुलिस और प्रशासन की मदद से बालिका सुरक्षा के अभियान चलाये। साल 2019 में जशोदा ने नई दिल्ली में आयोजित बाल संसद में भाग लिया और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के सामने आने वाली चुनोतियों को राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बनाया। जशोदा को राष्ट्रीय बाल संसद का स्वास्थ्य मंत्री भी बनाया जा चुका है।मुझे बहुत खुशी हो रही है कि लड़कियों को आगे बढ़ाने, पढ़ाने और आत्मसम्मान से जीने के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, मैं शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना से जुड़े सभी लोगों की आभारी हूँ जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने और बाल अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की प्रेरणा दीl जब तक हर लड़की अपने सपनों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर ना बन जाए मेरा प्रयास जारी रहेगा
-वसुंधरा, डारडा तुर्की, पीपलू, टोंकलड़कियों को समाज में और निर्णय लेने में भागीदार बनाना चाहिए। उनके भविष्य का फैसला कोई दूसरा कब तक करेगा। मैं हर लड़की को सशक्त और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर देखना चाहती हूँ।
-जशोदा, आशापुरा, औसियां, जोधपुरवसुंधरा, जशोदा और शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना से जुडी सभी बालिकाओं को बधाई कि उनके प्रयास को विश्व भर में सराहना मिली हैl हमने इस परियोजना के माध्यम से टोंक और जोधपुर के गाँवों में 5000 बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक एवं प्रशिक्षित किया हैl सेव द चिल्ड्रन का प्रयास है कि हर एक बच्चे को उसके अधिकार मिलें और उसके हर प्रयास को पहचान मिले-

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