रात होते ही राजमार्ग पर हो जाता है मवेशियों का राज, आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन?

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दूदू-छाण वाया मालपुरा स्टेट हाइवे 37 ए पर रात होते ही मवेशियों का राज हो जाता है जिसके चलते कई बार सडक दुर्घटनाएं कारित हो जाती है तथा कई लोग दुर्घटनाओं में अकारण ही गंभीर रूप से घायल हो जाते है। सडक मार्ग पर आखिर इन दुर्घटनाओं के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए। केन्द्र सरकार की योजनाओं के बावजूद ग्राम पंचायत स्तर पर गौशालाओं के लिए बजट का आवंटन नहीं होने के कारण आज तक योजना को कोई मूर्तरूप नहीं दिया जा सका है जिससे ग्राम पंचायतों में आवारा पशुओं से बचाव का कोई तरीका नजर नहीं आता है। ग्राम पंचायत से इस बाबत बात किए जाने पर सरपंच सचिव बजट का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ कर इस जिम्मेदारी से बचते नजर आते है। वहीं सडक के लिए जिम्मेदार आरएसआरडीसी विभाग के अधिकारी इस पर कुछ भी जानकारी देने से इंकार कर देते है। जबकि आरएसआरडीसी इसके लिए पूर्ण जिम्मेदार है तथा इस सडक मार्ग पर वाहनचालकों को टोल भी चुकाना पड रहा है। इस मामले में पचेवर सरपंच प्रतिनिधि व पूर्व सरपंच घनश्याम गुर्जर ने बताया कि गौपालन विभाग में रजिस्टर्ड संस्थाओं द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाने पर बजट आवंटन किए जाने का प्रावधान है जिसमें ग्राम पंचायतों का सीधा कोई दखल नहीं होता है। जिससे यह योजना कारगर साबित नहीं हो पा रही है। आवारा पशु ना केवल राजमार्ग पर दुर्घटनाओं का कारण बनते है बल्कि किसानों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाते है। जबकि केन्द्र व राज्य सरकारों को ग्राम पंचायत स्तर पर गौशालाओं के संचालन के लिए योजना का सरलीकरण करते हुए ग्राम पंचायतों को गौशालाओं के संचालन का अधिकार देने की जरूरत है। गौशालाओं के कार्य संचालन का अधिकार ग्राम पंचायतों को मिलने पर इस समस्या से कुछ हद तक निजात मिल सकती है। आजकल सडक दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे है जिनमें सडक दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुझाव साबित हो सकता है। पूर्व में ग्राम पंचायतों को आवारा मवेशियों के पकडे जाने पर जुर्माना वसूलने तथा पशु की नीलामी का अधिकार होता था जिससे ग्राम पंचायत को आय भी होती थी तथा मवेशी मालिकों मे ंअपने पशुओं को आवारा छोडने पर जुर्माने का भय होता था। लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। आरएसआरडीसी द्वारा सडक के आस-पास घूमने वाले अथवा सडकों पर बैठने वाले आवारा मवेशियों के सींगो अथवा गले में रिफलेक्टर डालने का कार्य अवश्य करना चाहिए जिससे वाहन चालकों को दूर से मवेशियों का पता चल जाएगा।

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