त्यौंहारों एवं उत्साहों के देश भारत में हिन्दुत्व व भारतीय जीवन पद्धति में मकर संक्रान्ति का एक विशेष महत्व है इस दिन दान पुण्य करने से मानसिक शांति मिलती है। मकर संक्रान्ति सामाजिक समरसता को प्रगाढ़ करती है। वहीं इसके असाधारण महत्व के कारण ही मकर संक्रान्ति को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा वर्ष भर में मनाए जाने वाले छ: पर्वो में से एक उत्सव के रूप में मनाता है। संघ के कार्यक्रम में तिल-गुड़ के व्यंजनों को स्वयंसेवकों में बांटे जाते है। बडी संख्या में बिखरे तिलों को गुड़ अपने बंधन में बांध कर उन्हें संगठित करता है उसी तरह से स्नेह व आत्मीयता से विशाल हिन्दू समाज को संगठित करने का संदेश देता है व तिल-गुड से समाज में स्नेह एवं मधुरता बांटता है। कस्बे में मकर संक्रान्ति का पर्व बडे ही धूमधाम से सम्पन्न हुआ जिसमें बडी तादात में कस्बेवासियों ने दिनभर अपनी छतों पर चढकर पतंगबाजी का आनन्द लिया। संक्रान्ति के पर्व पर घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का लुत्फ उठाया एवं हवा अच्छी चलने के कारण घरों की छतों पर डीजे व म्यूजिक सिस्टम के साथ वो-काटा-वो-मारा की धूम रही। मुख्यालय पर मालपुरा शहर सहित डिग्गी, लावा, सोडा, पचेवर, कलमण्डा, चांैसला सहित क्षेत्र में मकर संक्रान्ति का त्यौंहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। संक्रान्ति के अवसर पर युवाओं सहित बच्चों व बुजुर्गो ने छतों पर चढकर पतंगबाजी करते हुए त्यौंहार पर घर में बने तिल के पकवानों के आनन्द लिया। दिनभर घरों की छतो पर वो काटा-वो काटा की आवाजे गूंजती रही साथ ही छतों पर लगे स्पीकरों में गाने बजते रहे। वहीं छोटे बच्चे कटी हुई पतंगो को लूटकर इक्कटा करते नजर आए। मकर संक्रान्ति पर भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चित्रों से युक्त पतंगो का काफी क्रैज रहा तथा भाजपाईयों ने कई स्थानों पर पतंगो का वितरण भी किया।