54 वीं लक्खी पदयात्रा डिग्गी पहुंचने के लिए अपने अंतिम पडाव चौंसला पहुंच चुकी है। शनिवार को डिग्गी पहुंचने पर लक्खी पदयात्रा के साथ लाया गया शाही निशान विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कल्याण मंदिर पर चढाया जाएगा। डिग्गी की ओर बढते भक्तों के टोले कल्याण धणी के जयघोष के साथ आगे बढ रहे है जिससे सम्पूर्ण कस्बा कल्याणमयी रंग से सरोबार होता दिखाई दे रहा है। यात्रा मार्ग पर आने वाले सभी गांवो में ग्रामीणों की ओर से पदयात्रियों की आवभगत में कोई कमी नहीं आने दे रहे है एवं प्रत्येक पदयात्री को भगवान स्वरूप मानकर तन-मन से सेवा करने में जुटे हुए है। पदयात्री अपने शारीरिक कष्टो को भुलाकर लगातार आगे बढते जा रहे है व चारों ओर से कल्याण धणी के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। धार्मिक नगरी में भक्ति एवं आध्यात्म का अलौकिक वातावरण बना हुआ है। जयपुर ताडकेश्वर मंदिर से रवाना हुई 54 वीं लक्खी पदयात्रा चौंसला पहुंच चुकी है व प्रशासन एवं ग्रामीण लक्खी पदयात्रा के स्वागत में आतुर एवं तत्पर खडे है। धर्मध्वजा की अगुवाई में पीछे आ रहे जनसैलाब को कल्याण धणी की भक्ति ही आगे बढने की शक्ति प्रदान कर रही है। आने वाले पदयात्रियों के पैरो में पडे छाले व शारीरिक कष्ट भी उनकी आस्था में कमी नहीं ला सके है। छालों, उमस व थकान के बावजूद हर भक्त व श्रृद्धालु श्री कल्याण धणी के चरणों में अपना शीश नवाकर आशीष प्राप्त करने का इच्छुक दिखाई दे रहा है।