राजस्थान के 13 जिलों में अभी भी 40 प्रतिषत से अधिक बच्चियों का विवाह कानूनी उम्र से पहले हो जाता है इनमें से टोंक भी एक प्रमुख जिला है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार टोंक जिले में बाल विवाह का आंकड़ा 47 प्रतिषत है यानी 18 साल से कम उम्र की लगभग आधी बालिकाओं की शादी कानूनी उम्र से पहले हो जाती है। यह न केवल उन्हे उनके सपनों, भविष्य के अवसरों व षिक्षा से वंचित करता है बल्कि कमजोर स्वास्थ्य व गरीबी के कुचक्र में धकेल देता है और यह बाल अधिकारों का उल्लंघन है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोर देन ब्राइड एलियांस के तहत टोंक जिले में बाल विवाह की रोकथाम हेतु पीपलू तहसील के 32 गावों में सेव द चिल्ड्रन और शिव शिक्षा समिति द्वारा 10 से 19 साल की लगभग 3 हजार किशोरियों के साथ ‘शादी बच्चों का खेल नहीं’ परियोजना चलाई जा रही है। इन 32 गांवों में 491 लड़कियां ऐसी हैं जिनकी कानूनी उम्र यानी की 18 साल से पहले ही शादी हो चुकी है। 735 लड़कियां स्कूली षिक्षा से बाहर हैं।परियोजना के तहत बाल विवाह की रोकथाम के लिए बालिकाओं के बेहतर व स्वस्थ जीवन और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु उन्हें जीवन कौशल शिक्षा के साथ ही, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार की जानकारी, स्कूली षिक्षा से जुड़ाव व आर्थिक रूप से सशक्त करने हेतु व्यवसायिक प्रषिक्षण उपलबध कराया जा रहा है। इस परियोजना से जुड़ी प्रियंका, पिंकी, रामघनी, कोमल जैसी सेंकड़ों लड़कियों के के बुलंद इरादे को होंसले की उडान मिली है।